वीडियो: इस होनहार भारतीय खिलाड़ी को BCCI ने देश छोड़ने पर किया मजबूर, अब अमेरिका के लिए खेलेगा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट

भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़कर एक टैलन्टेड खिलाड़ी है। इतना टैलेंट है कि सबको उनके टैलेंट के हिसाब से खेलने के मौके नहीं मिल पाए। ऐसी खिलाड़ियों की एक लंबी लिस्ट है जो घरेलू क्रिकेट में तो जमकर चमके लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके नाम का सितारा कभी नहीं जगमगा सका। कुछ ने हिम्मत न हारते हुए घरेलू क्रिकेट में जमकर पसीना बहाया और अपनी बारी का इंतजार किया तो वहीं कुछ खिलाड़ियों के सब्र ने जवाब दे दिया।

वो भारत छोड़ दूसरे देशों की ओर चले गए क्रिकेट खेलने। इनमें हालिया नाम जुड़ा भारत को अंडर 19 विश्वकप जिताने वाले कप्तान उन्मुक्त चंद का है। भारतीय फैंस उन्मुक्त चंद के नाम से तो अच्छे से वाकिफ हैं।वही उन्मुक्त चंद जिन्होंने भारत को 2012 का अन्डर 19 वर्ल्ड कप जिताया। आइए जनाते हैं उन्मुक्त चंद की पूरी कहानी।

BCCI ने किया भेदभाव, देश छोड़ने को मजबूर हुए उन्मुक्त चंद

30 साल के उन्मुक्त चंद दिल्ली में पैदा हुए, वहीं पले बढ़े क्रिकेट की शुरुआत भी वहीं की।साल 2012 में टीम इंडिया के अन्डर 19 कप्तान चुने गए, ऑस्ट्रेलिया में हुए अन्डर 19 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में हरा के खिताब टीम इंडिया के नाम किया। उसके अगले साल ही दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से आईपीएल में मौका मिला।

आईपीएल के पहले साल उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, अगले साल भी उन्हें सिर्फ 2 ही मैच खेलने को मिले। साल 2013 में 9 मैच खेलने को मिले लेकिन वहाँ उनका प्रदर्शन औसत रहा उन्मुक्त चंद ने 2013 के सीजन में 17.55 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए मात्र 158 रन बनाए। आईपीएल में न चलने के बाद उनका बल्ला घरेलू क्रिकेट में लगातार बोल रहा था।

लेकिन बावजूद इसके उन्हें टीम इंडिया की ओर से कभी बुलावा नहीं आया। वो अन्डर 23 के दौरे पर भी गए वहाँ भी उन्होंने खूब रन बनाए। रणजी ट्रॉफी में अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने शतक जड़ा।2016 में सय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी उन्होंने शानदार शतक जड़ा। बावजूद इसके BCCI की ओर से उन्हें सराहना नहीं मिली। भारत में मौके न मिलने के चलते अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर बनाने के लिए उन्मुक्त चंद ने फिर अमेरिका का रुख कर लिया।

शानदार रहा है घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन

उन्मुक्त चंद ने साल 2010 में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। उन्होंने भारत में कुल 67 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेले जिनमें 31.57 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए 3379 रन बनाए। जिनमें 8 शतक, 16 अर्धशतक शामिल हैं।

वहीं लिस्ट ए में उन्होंने 120 मुकाबले खेले जिनमें 41.33 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए 7 शतक और 32 अर्धशतकों की मदद से 4505 रन बनाए। 84 टी20 मुकाबलों में उन्होंने 21.53 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए 1637 रन बनाए जिनमें 3 शतक और 5 अर्धशतक जड़े।